
How smaller parties affect poll outcome in MP
NK SINGH
इस चुनाव में एक और नई पार्टी ने मैदान में उतरने का ऐलान किया है. आध्यात्मिक गुरु पंडोखर सरकार की सांझी विरासत पार्टी “हिन्दू-विरोधी शिवराज सरकार” से चिढ़कर ५० जगहों से उम्मीदवार उतारेगी.
उनके भक्तों में भाजपा और कांग्रेस दोनों के नेता शामिल हैं. कई मंत्री और विधायक उनके दरबार में हाजरी बजाते हैं.
पचास में से कितनी सीटें वे जीतेंगे, इसका तो पता नहीं. पर जीतने वाली पार्टी के वोट काट कर उसे हरा सकते है.
इस तरह की दर्ज़नों खुदरा पार्टियाँ हर चुनाव में मैदान में उतरती हैं. सत्ता के खेल में कांग्रेस और भाजपा को छोड़कर और किसी भी पार्टी की मध्यप्रदेश में कभी कोई अहमियत नहीं रही है.
पर इस दफा ऐसी चिल्लर पार्टियों को लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों में चिंता हैं. हाल के वर्षों में भाजपा और कांग्रेस के बीच वोटों का फासला भले ही बढ़ा हो, पर यहाँ डेढ़-दो परसेंट के मार्जिन पर हार-जीत कर फैसला होता रहा है. Continue reading “मध्य प्रदेश में चिल्लर पार्टियों ने बढाई भाजपा-कांग्रेस की चिंता”