
NK SINGH
चाईबासा के ‘बुद्धिमान’ अफसरों का कहना है कि उनके शहर में फसाद की आग अचानक भड़की। 15 अप्रैल के पहले शहर में अमन-चैन था, सुख की बाँसुरी बज रही थी। एकाएक बमों के साथ मुसलमानों ने रामनवमी के जुलूस पर हमला किया और सांप्रदायिक दंगा फ़ाइल गया, जिसमें कुछ मरे, कुछ घायल हुए।
तथ्य साबित करते हैं कि पुलिस विभाग का यह कहना सरासर झूट है कि शहर शांत था और वातावरण में किसी तरह का कोई तनाव व्याप्त नहीं था।
चाईबासा और चक्रधरपुर के दंगाग्रस्त शहरों के अपने हाल के दौरे के बाद इस संवाददाता ने पाया कि शहर में मुहर्रम से ही तनाव व्याप्त था।
इस संबंध में बिहार के कतिपय मंत्री और अधिकारी गलत प्रचार कर रहे हैं जबकि सख्त कार्यवाही की जरूरत है। बड़े ही गैर-जिम्मेदार ढंग से अकर्मण्य पुलिस विभाग की सारी जिम्मेदारियाँ उन्होंने नक्सलवादियों एवम पाक एजेन्टों के मत्थे मढ़ने की कोशिश की।
Excerpts from article published in Muktadhara 23 May 1970


